रायबरेली का लड़का निकला पक्का बिजनेसमैन, खड़ी कर दी 28 हजार करोड़ की कंपनी, विदेशों तक नाम
Success Story: पुरानी कारें खरीदने-बेचने में अरबपति बन गया रायबरेली का लड़का, निकला पक्का बिजनेसमैन Last Updated: April 15, 2025, 16:53 IST Success Story: उत्तर प्रदेश के रायबरेली से निकले विक्रम चोपड़ा आज बिजनेसजगत में बड़ा नाम हैं. उनकी कंपनी कार्स24 ने भारत में पुरानी कारों के बड़े बाजार पर कब्जा कर लिया है. विक्रम चोपड़ा. हाइलाइट्स विक्रम चोपड़ा ने कार्स24 की स्थापना की. कार्स24 की वैल्यू 28 हजार करोड़ रुपये से अधिक है. कार्स24 ने 1.5 लाख कारें सालाना बेचना शुरू किया. Success Story: यूपी के रायबरेली के रहने वाले विक्रम चोपड़ा की सीट जब आईआईटी बॉम्बे में पक्की हुई तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था. परिवार भी एकदम खुश था. उन्होंने IIT बॉम्बे में पांच साल बिताए. जनवरी 2001 से लेकर जनवरी 2006 तक उन्होंने इंजीनियरिंग की बारीकियां सीखीं और बेचलर और मास्टर डिग्री लेकर निकले. उन्होंने दो नौकरियां कीं, मगर वे रास नहीं आईं, क्योंकि विक्रम को कुछ अलग और कुछ बड़ा करना था. नौकरी छोड़ने के बाद एक स्टार्टअप किया, मगर वह चल नहीं पाया. विक्रम थोड़े उदास थे, मगर उनके ख्वाब अब भी मजबूत थे. आखिर उन्होंने एक ऐसी कंपनी बनाई, जिसकी आधिकारिक मार्केट वैल्यू 2021 में 3.3 बिलियन डॉलर (28 हजार करोड़ रुपये से अधिक) आंकी गई. इसी आधार पर कंपनी ने लगभग 440 मिलियन डॉलर का फंड भी उठाया.
विक्रम चोपड़ा की कंपनी का नाम है कार्स24 (Cars24). कार्स24 एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां यूज्ड कारों को खरीदा और बेचा जा सकता है. आज तो हमें इस कंपनी की जबरदस्त वैल्यू नजर आती है, लेकिन इस सफलता की कहानी के पीछे लम्बा संघर्ष और कुछेक फेल्योर भी हैं. चलिए विस्तार से जानते हैं विक्रम चोपड़ा ने कैसे इस कंपनी को एक शानदार मुकाम तक पहुंचाया.
पहले नौकरी और फिर बिजनेस
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 2006 में मैक्किन्सी एंड कंपनी (McKinsey & Company) में बतौर एनालिस्ट काम किया. वहां तीन साल बिताने के बाद 2009 में उन्होंने सिकोइया कैपिटल में दो साल तक इन्वेस्टमेंट एनालिस्ट के तौर पर सेवाएं दीं. नौकरी के दौरान उन्होंने हमेशा महसूस किया कि भारत में तमाम संभावनाएं हैं और कुछ स्पेशल काम किया जा सकता है. यही सोचकर उन्होंने नौकरी छोड़ी और 2012 में फैबफर्निश (FabFurnish) कंपनी की स्थापना की. तीन साल तक इस कंपनी को खड़ा करने की कोशिशों के बाद सब असफलता हाथ लगी तो उन्हें लगा कि कुछ और किया जाए.
विक्रम चोपड़ा की दिलचस्पी कारों में बहुत अधिक थी. उन्होंने अपनी दिलचस्पी को ही अपना पेशा बनाने का सोचा. उन्होंने महसूस किया कि भारत में सेंकड हैंड कारों का बड़ा बाजार है, लेकिन वह ऑर्गेनाइज्ड नहीं है. लोगों को पुरानी कार खरीदने में कई तरह की धोखाधड़ियों का सामना भी करना पड़ता है. क्यों न इसे ऐसा ऑर्गेनाइज कर दिया जाए कि लोगों की परेशानी भी खत्म हो जाए और एक बिजनेस एंपायर भी खड़ा हो जाए. इसी सोच के साथ 2015 में कार्स24 की स्थापना की गई.
वेरिफाइड बायर्स को सीधे कार बेचने की सुविधा
इस कंपनी के तीन को-फाउंडर थे. कंपनी ने कार मालिकों को यह सुविधा दी की वे वेरिफाइड बायर्स को सीधे कार बेच पाएं. केवल इतना ही नहीं, बल्कि कई तरह के ऑफर दिए गए, जिसमें तेजी से पेमेंट्स, बिना झंझट के आरसी ट्रांसफर की सुविधा भी शामिल थे.
चूंकि पुरानी कारों का बाजार देशभर में फैले और अपने-अपने स्तर पर काम कर रहे डीलर्स पर निर्भर था. डीलर ही पुरानी कार खरीदने का एक जरिया थे. ऐसे में विक्रम चोपड़ा ने पूरे देश में डीलर्स का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करने का आइडिया पेश किया. इसी के साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ कार की सही कीमत का पता लगाने की सुविधा दी गई. फ्री में आरसी ट्रांसफर करने की सुविधा ने फ्रॉड का रिस्क बेहद कम कर दिया. अब पुरानी कार बेचने और खरीदने वालों के पास एक ऐसी कंपनी मध्यस्थ के तौर पर खड़ी थी, जो सभी चेक करने के बाद काम को पूरी करती थी. लोगों को यही चाहिए था और का आइडिया क्लिक कर गया.
32 करोड़ का पहला फंड
2015 में कार्स24 ने 32 करोड़ रुपये जुटाए और दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और बेंगलुरु में अपने बिजनेस को विस्तार देने का काम किया. 2015 में ही कंपनी ने 12 शहरों में 50 ब्रांच खोली दीं और 1 लाख से अधिक कारें बेच डालीं. यहीं से पता चल गया था कि यह बिजनेस धमाल मचाने वाला है. 2018 में उन्होंने सिकोइया कैपिटल (जिसके लिए खुद विक्रम चोपड़ा ने नौकरी की थी) और इरोक्स सीड्स से 340 करोड़ रुपये का फंड जुटा लिया. इस वक्त कंपनी की वैल्यूएशन 1,740 करोड़ रुपये आंकी गई.
अब हर बिजनेस में कंपीटिशन तो आता ही है. कार्स24 के लिए भी ओएलएक्स, ड्रूम, और महिंद्रा फर्स्ट चॉइनस जैसी बड़ी कंपनियों ने चैलेंज खड़ा कर दिया. कार्स24 को कुछ अलग करने की जरूरत थी. विक्रम चोपड़ा की कंपनी ने इंस्टेंट पेमेंट का कॉन्सेप्ट शुरू किया और डोरस्टेप सर्विस की सुविधा लॉन्च की. कंपनी ने बी2बी ऑक्शन भी शुरू कर दिए, जिससे डीलर्स को कारों के लिए रियल-टाइम बोलियों की जानकारी मिलने लगी. सफर यहीं रुकने वाला नहीं था. विक्रम अपनी कंपनी को ऐसे स्तर पर ले जाना चाहते थे कि कोई कंपीटिशन उसे छू तक न पाए.
एक ही विजिट में कार बेचने का काम
अब कार्स24 ने एक नया कॉन्सेप्ट पेश किया जिसका नाम था ‘Sell Your Car in One Visit’. मतलब एक ही विजिट में अपनी कार बेचिए, बार-बार चक्कर लगाने की जरूरत खत्म कर दी. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को ब्रांड अंबेसडर बनाया गया. इतना सब होने के बाद भी कंपनी कारों की बिक्री पर केवल 4 फीसदी कमीशन ही कमा पा रही थी. इस बिजनेस को दूसरे देशों तक पहुंचाने की जरूरत महसूस की गई. यूएई, ऑस्ट्रेलिया और साउथईस्ट एशिया में कंपनी ने दस्तक दी. कंपनी ने बाइक्स और कमर्शियल वाहनों की बिक्री भी शुरू कर दी. कार्स24 ने 1.5 लाख कारें सालाना बेचना शुरू किया और रेवेन्यू 2,270 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.
जब कोई छोटी कंपनी बड़ी होने लगती है तो पैसा लगाने वालों की भी कतार लग जाती है. 2017 में डीएसटी ग्लोबल से उन्होंने 1,510 करोड़ रुपये जुटाए और पुरानी कार बेचने वाली भारत की पहली यूनिकॉर्न कंपनी बन गई. आज, कार्स24 की मंथली ट्रांजेक्शन्स 2 लाख से अधिक हैं. ऐप को 15 मिलियन डिवाइसों पर डाउनलोड किया गया है और 200 से अधिक शहरों में कंपनी की ब्रांच हैं. पुरानी कारों के बिजनेस में कंपनी के पास देश का 65 फीसदी बाजार है. अप्रैल 2025 में कार्स24 की वैल्यूएशन कितनी है, इस तरह का डेटा पब्लिक डोमेन में नहीं है.
Location : New Delhi, New Delhi, Delhi First Published : April 14, 2025, 15:02 IST homebusiness रायबरेली का लड़का निकला पक्का बिजनेसमैन, खड़ी कर दी 28 हजार करोड़ की कंपनी