मोथाबारी में सांप्रदायिक हिंसा, इंटरनेट बंद और 34 आरोपित गिरफ्तार; हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन ने मांगी रिपोर्ट

पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के मोथाबारी में सांप्रदायिक हिंसा की रिपोर्ट कलकत्ता हाई कोर्ट ने मांगी है। दूसरे दिन की हिंसा के बाद सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जवानों को मौके पर तैनात किया गया है। दंगाइयों ने गाड़ी और दुकानों में तोड़फोड़ की। अब तक 34 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। जिले के तीन इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने शुक्रवार को बंगाल के मालदा में हिंदुओं पर कथित हमलों को लेकर मोथाबारी में जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी। याचिका में कथित तौर पर एक विशेष धार्मिक समुदाय के लोगों पर दूसरे समुदाय के लोगों द्वारा किए गए हमलों का उल्लेख किया गया है।

भाजपा की बंगाल इकाई ने कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति स्मिता दास की खंडपीठ में एक याचिका दायर कर मामले में न्यायालय के हस्तक्षेप की मांग की।

तीन अप्रैल तक पेश करनी होगी रिपोर्ट

शुक्रवार को मामले की सुनवाई हुई और अंत में खंडपीठ ने मालदा के जिला मजिस्ट्रेट और जिला पुलिस अधीक्षक को तीन अप्रैल तक न्यायालय में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। राज्य भाजपा नेता और कलकत्ता हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील कौस्तव बागची द्वारा दायर याचिका में न्यायालय से मोथाबारी में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में आने तक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के जवानों की तैनाती के लिए निर्देश देने की भी अपील की गई।

पता चला है कि मोथाबारी में स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है, लेकिन खंडपीठ जानना चाहती है कि वहां वास्तव में क्या हुआ था?

सुवेंदु ने राज्यपाल से सीएपीएफ तैनात करने का निर्देश देने का किया अनुरोध

बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने बताया कि उन्होंने राज्यपाल सीवी आनंद बोस को एक पत्र लिखकर उनसे राज्य सरकार को मोथाबारी में हिंदुओं पर बड़े पैमाने पर हमलों के बाद सीएपीएफ तैनात करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। अधिकारी ने बंगाल सरकार और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति के जरिए ग्रेटर बांग्लादेश का खाका तैयार करने का आरोप लगाया है।

हिंदुओं की संपत्ति को लूटा और तोड़फोड़ की: अधिकारी

अधिकारी ने मीडियाकर्मियों से यह भी दावा किया है कि मोथाबारी में उपद्रवी नियंत्रण से बाहर हो गए। हिंदुओं की संपत्तियों को लूटा और तोड़फोड़ की। विपक्ष के नेता ने कहा कि उनके निशाने पर हिंदू थे। इसलिए मुझे लगता है कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सीएपीएफ की तैनाती ही एकमात्र उपाय है, क्योंकि पुलिस बर्बरता और गुंडागर्दी को रोकने में विफल रही है।

बेबस दिखे पुलिस के जवान

अधिकारी ने आगे कहा कि राज्य पुलिस के जवान असहाय कठपुतलियों की तरह काम कर रहे थे। वे बस हाथ जोड़कर उपद्रवियों से विनती कर रहे थे। उपद्रवियों ने मुख्य सड़कों पर कब्जा कर लिया और कई वाहनों में खुलेआम तोड़फोड़ की।यह भी पढ़ें: अप्रवासियों को किसी तीसरी देश डिपोर्ट नहीं कर पाएंगे ट्रंप, जज ने लगाई रोक; भड़क उठा न्याय विभाग
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