Be Happy Review: पिता-पुत्री के खूबसूरत रिश्ते पर आधारित है फिल्म, रेमो से कई मामलों में हो गई चूक

स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। कोरियोग्राफर से निर्देशक बनें रेमो डिसूजा उन फिल्‍ममेकर्स में हैं जिन्‍हें डांस आधारित फिल्‍मों से खासा लगाव रहा है। उनकी पूववर्ती फिल्‍म एबीसीडी : एनी बडी कैन डांस में डांस कंप्‍टीशन था। इसकी सीक्‍वल एबीसीडी 2 में यह क्रम जारी रहा और दर्शकों को उन्होंने खूब झूमाया। फिर स्‍ट्रीट डांसर 3 डी लेकर आए जो दर्शकों को थिरकाने में नाकामयाब रही। अब बी हैप्‍पी के जरिए एक बार फिर रेमो डांस की पृष्‍ठभूमि में पिता पुत्री की भावनात्‍मक कहानी को लाए हैं जिसमें डांस तो है लेकिन पैर थिरकते नहीं हैं। शीर्षक भी कहानी से मेल नहीं खाता है।

क्या है फिल्म की कहानी?

कहानी ऊटी में रहने वाले शिव रस्‍तोगी (अभिषेक बच्‍चन), उनकी बेटी धारा (इनायत वर्मा) की है। बैंक में कार्यरत शिव के साथ उसके ससुर नादर (नासर) भी रहते हैं। आठ साल पहले एक सड़क हादसे में धारा की मां रोहिणी (हरलीन सेठी) का देहांत हो गया था। धारा का सपना देश के सबसे प्रतिष्ठित डांस रियलिटी शो में परफार्म करने का है। स्‍कूल में डांस कंप्‍टीशन में जीतने पर धारा को डांस टीचर मैगी (नोरा फतेही) मुंबई आने को कहती हैं ताकि उसे प्रशिक्षित कर सकें। शुरुआती इनकार के बाद शिव ट्रांसफर लेकर धारा के साथ मुंबई आ जाता है।
बेटी के सपने को पूरा करने में साथ देता है। वह रियलिटी शो के फिनाले में पहुंच भी जाती है। फिर पता चलता है कि उसे बोन कैंसर है। क्‍या फिनाले में परफार्म करने का उसका सपना अधूरा रह जाएगा या शिव इस सपने को हकीकत बनाएगा? कहानी इस संबंध में है।यह भी पढ़ें: Abhishek Bachchan ने की को-स्टार Nora Fatehi की तारीफ, कहा- ‘इनको सिर्फ गाना मत दो’

पांच साल बाद रेमो की निर्देशन में वापसी

रेमो डिसूजा लिखित और निर्देशित इस कहानी की कमजोर कड़ी यही है कि इसमें कोई नयापन नहीं है। फिल्‍म की कहानी बहुत सपाट तरीके से आगे बढ़ती है। एक पिता का अपने बच्‍चे की जिद को शुरू में इनकार करना फिर उसमें साथ देना में कोई नयापन नहीं है। शिव डांस को हॉबी के तौर पर देखता है करियर के तौर पर नहीं। पर उसके पीछे की वजह स्पष्ट नहीं है। करीब पांच साल बाद निर्देशन में वापसी करने वाले डेमो डिसूजा खुद बेहतरीन कोरियोग्राफर हैं। वह कई रियलिटी शो के जज रह चुके हैं, जहां उन्‍होंने कई शानदार परफार्मेंस देखी हैं। यहां पर डांस रियलिटी शो कहानी का अहम हिस्‍सा है तो डांस की कई परफार्मेंस भी कहानी का हिस्‍सा बनते हैं लेकिन वह इतनी शानदार नहीं बनी है कि आपके पांव थिरकने लगे।

निर्देशक से कहां हुई चूक

फिल्‍म में रियलिटी शो के एक्‍ट को शानदार तरीके से प्रस्‍तुत करने में वह चूक गए है। मुंबई आने पर कोई भी धारा से दोस्‍ती क्‍यों नहीं करता? उसकी वजह रेमो ही बेहतर बता पाएंगे। उसी तरह रियलिटी शो में चयन प्रक्रिया में भाग लेने के दौरान ही नर्वस दिखती है फिर सब आसानी से होता दिखता है। धारा की मां का डांस से क्‍या लगाव रहा इस पर भी फिल्‍म बात नहीं करती है। फिल्‍म में नासर ही एकमात्र किरदार है जो तमिल बोलता है। बाकी किरदार सपाट हिंदी में यह भी थोड़ा अटपटा लगता है।

अभिषेक बच्चन की तारीफ तो बनती है

अभिषेक अपनी उम्र से मेल खाते पात्रों को इन दिनों तरजीह दे रहे हैं। बीते दिनों रिलीज फिल्‍म आइ वांट टू टाक में अभिषेक एक बेटी के पिता की भूमिका में दिखे थे। अब बी हैप्‍पी में एक बार फिर पिता की भूमिका में हैं। यहां पर उनके किरदार में कई परतें हैं। एक सख्‍त पिता से लेकर धारा का डांस पार्टनर बनना हो या उसके मनोबल को बनाए रखने को लेकर बैकिंग की भाषा में समझाना अपनी इस भूमिका में वह जंचते हैं। फिल्‍म का आकर्षण इनायत वर्मा हैं।

जबरदस्ती डाले गए कई किरदार

डांस परफॉर्मेंस हो या भावनात्‍मक दृश्‍य वह अपनी भूमिका को शिद्दत से जीती नजर आती हैं। दोनों इससे पहले फिल्‍म लूडो में भी एकसाथ काम कर चुके हैं। मैगी की भूमिका में नोरा फतेही को डांस दिखाने का मौका मिला है लेकिन चेहरे पर भावों की कमी साफ झलकती है। नाना की भूमिका में नासर याद रह जाते हैं। जानी लिवर का किरदार अधकच्‍चा है। वह बेवजह ठूंसा गया लगता है।
फिल्‍म में डायलाग है कि फाइनल में जीत या हार नहीं परफार्मेंस मायने रखती है। तीन डांस आधारित फिल्‍में बना चुके रेमो को इस संवाद की तरह अब डांस आधारित फिल्‍म में कुछ नया परफार्म करने की जरूरत है। यह भी पढ़ें: Nepotism के मुद्दे पर पहली बार बोले Amitabh Bachchan, बेटे अभिषेक बच्चन के लिए लिखे इस पोस्ट से मिली हिम्मत

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