Jharkhand Politics: हेमंत सोरेन होंगे झामुमो के अध्यक्ष, शिबू सोरेन को बनाया गया संस्थापक संरक्षक - Jharkhand Mukti Morcha Hema
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के 13वें महाधिवेशन में कार्यकारी अध्यक्ष का पद समाप्त कर दिया गया। हेमंत सोरेन अब झामुमो के अध्यक्ष होंगे और शिबू सोरेन संस्थापक संरक्षक की भूमिका निभाएंगे। महाधिवेशन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पार्टी के संघर्ष को याद किया और कहा कि झामुमो राज्य लेना और चलाना जानता है। उन्होंने राज्य की जनता को धन्यवाद दिया। राज्य ब्यूरो, रांची। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में अब कार्यकारी अध्यक्ष का पद नहीं होगा। इस पद को सोमवार को यहां खेलगांव में आरंभ हुए झामुमो के दो दिवसीय 13वें महाधिवेशन के मौके पर संविधान संशोधन के जरिए विलोपित करने का प्रस्ताव पेश किया गया। उसके स्थान पर संस्थापक संरक्षक का पद होगा। कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन अब झामुमो के अध्यक्ष होंगे, जबकि केंद्रीय अध्यक्ष रहे दिशोम गुरु शिबू सोरेन संस्थापक संरक्षक की भूमिका में होंगे।
महाधिवेशन के मौके पर झामुमो के शीर्ष नेतृत्व से लेकर संगठन के निचले स्तर तक के कार्यकर्ताओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। लगभग चार हजार प्रतिनिधियों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व्हील चेयर पर लेकर जब गुरूजी को लेकर मंच पर पहुंचे तो जय झारखंड के नारे लगे।स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के बावजूद गुरुजी अपनी पत्नी रूपी सोरेन के साथ पूरे समय मंच पर मौजूद रहे। उन्होंने हाथ उठाकर महाधिवेशन मे मौजूद प्रतिनिधियों को आशीर्वाद दिया। संविधान संशोधन से संबंधित प्रस्ताव पर मंगलवार को महाधिवेशन के अंतिम दिन आधिकारिक मुहर लग जाएगी। इसके साथ ही नई केंद्रीय समिति का भी गठन होगा। जमशेदपुर महाधिवेशन में हेमंत सोरेन को मिली थी जिम्मेदारी, खुद को साबित कर दिखाया हेमंत सोरेन ने झामुमो को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के दौर में पहुंचाया है। वर्ष 2015 में उन्हें झामुमो के 10वें महाधिवेशन के दौरान जमशेदपुर में कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। शुरू में उनकी नेतृत्व क्षमता को लेकर संदेह प्रकट किया जाता था, लेकिन उन्होंने स्वयं को साबित कर दिखाया।
नेता प्रतिपक्ष के पद पर रहते हुए उन्होंने संघर्ष यात्रा के जरिए तत्कालीन रघुवर दास सरकार के खिलाफ ऐसा माहौल बनाया कि भाजपा को वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में हार का मुंह का देखना पड़ा। हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने। एक-दो विधानसभा उपचुनाव को छोड़कर सभी उपचुनावों में भी उन्होंने बढ़त बनाए रखी। विपरीत परिस्थितियों में गिरफ्तारी के बावजूद उन्होंने लोकसभा चुनाव में चमत्कार कर दिखाया। सभी पांच आदिवासी सुरक्षित लोकसभा सीटों पर झामुमो-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी जीते। हेमंत सोरेन जेल से रिहा हुए। उनके विरुद्ध लगे आरोपों के मद्देनजर हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि इसका कोई साक्ष्य नहीं है।
2024 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने शानदार सफलता अर्जित कर दोबारा सत्ता में वापसी की। उनके नेतृत्व में झामुमो 34 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरा। कांग्रेस, राजद और वामदलों को मिलाकर गठबंधन ने 81 में से 56 सीटें जीतन में कामयाबी पाई। पूरे देश ने देखा, झामुमो राज्य लेना और चलाना भी जानता है – हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के 13वें महाधिवेशन को संबोधित करते हुए पार्टी के लंबे संघर्ष और बलिदान को याद किया। सत्ता में दोबारा शानदार बहुमत से वापसी करने का उत्साह उनके संबोधन में दिखा।
उन्होंने कहा – पूरे देश ने देखा है कि झामुमो राज्य लेना और चलाना भी जानता है। अलग झारखंड राज्य का पूरा श्रेय शिबू सोरेन को जाता है। गुरुजी के नेतृत्व में असंख्य क्रांतिकारियों के संघर्ष और बलिदान के बाद अलग झारखंड अलग का सपना पूरा हुआ। झारखंड ही नहीं, पूरे देश-दुनिया के लोग दिशोम गुरु शिबू सोरेन को आदर-सम्मान की नजरों से देखते हैं।वह यह गर्व के साथ कहते हैं कि झामुमो का जन्म हुआ, तभी अलग झारखंड राज्य बना। गुरुजी के नेतृत्व में अलग राज्य की लड़ाई लड़ी गई और हमें अलग राज्य भी मिला। राज्य के लोगों ने सोचा कि अब हमारा सर्वांगीण विकास होगा, लेकिन राज्य का विकास चुनी गई सरकार द्वारा ही संभव हो सकता है।
यह दुर्भाग्य था कि राज्य बनने के बाद बागडोर जिनके हाथों में थी, उन्हें यहां के आदिवासियों-मूलवासियों, झारखंडवासियों से कोई मतलब नहीं था। किसान आत्महत्या करने पर मजबूर किए गए। हाथों में राशन कार्ड लिए लोगों की भूख से मौत हुई। सांप्रदायिक तनाव चरम पर पहुंचा। राज्य में डर-भय का माहौल बन गया। जिस प्रकार अलग राज्य के लिए शिबू सोरेन के नेतृत्व में तीव्र आंदोलन हुआ, वैसा ही झारखंड की सत्ता पर काबिज तानाशाह सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए आंदोलन हुआ।
2019 में जब राज्य की जनता के आशीर्वाद से नेतृत्व करने का अवसर मिला, उसमें भी विपक्ष ने कई बार राजनीति का स्तर नीचे गिराते हुए झारखंड को पीछे ले जाने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हो सके। झारखंड न कभी डरा, न ही कभी झुका। देश ने देख लिया है कि झामुमो राज्य लेना और चलाना भी जानता है। ‘आपकी बदौलत हराया सबसे बड़ी पार्टी बोलने वाले दल को’ महाधिवेशन में मौजूद जनप्रतिनिधियों में उत्साह का संचार करते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य की जनता के आशीर्वाद और झामुमो के जुझारू सिपाहियों की मेहनत की बदौलत हमने अपने आप को विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बोलने वाले दल को हराने का काम किया है। राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनने का आशीर्वाद झामुमो को मिला है।
यहां सभी साथी भी यह महसूस कर रहे होंगे कि आज हमारे महाधिवेशन में पूर्व से बेहतर भव्यता है। इसी प्रकार हमें राज्य के लोगों गांव, गरीबों के लिए भी दिन-रात काम कर उनके जीवन स्तर में सुधार लाना है। झारखंड के हक-अधिकार के लिए हुए आंदोलन से उपजी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा है। झारखंड और झारखंडवासियों को आगे ले जाने का काम भी हमें ही करना है। 16 राजनीतिक प्रस्ताव पारित झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन ने महाधिवेशन की शुरुआत की। दो दिवसीय महाधिवेशन के पहले दिन 108 पृष्ठ का सांगठनिक प्रस्ताव राज्य सरकार के मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने रखा। 16 राजनीतिक प्रस्ताव भी पारित किए गए। इसे स्टीफन मरांडी ने पेश किया।
महाधिवेशन स्थल का नाम बाबा साहब भीमराव अंबेडकर प्रांगण रखा गया है। इसका समापन मंगलवार को संगठनात्मक ढांचे के गठन के साथ होगा। महाधिवेशन में मंच का संचालन अध्यक्षीय समिति के सदस्य विनोद पांडेय ने किया।ये भी पढ़ें- ‘झारखंड की लूट में CO से CMO तक शामिल’, रघुवर दास का हेमंत सरकार पर बड़ा हमला
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