FY25: डेट और इक्विटी के जरिये भारतीय कंपनियों ने जुटाया रिकॉर्ड धन, आइपीओ बाजार भी रहा मजबूत

भारतीय कंपनियों ने बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद वित्त वर्ष 2024-25 में इक्विटी और डेट के जरिये रिकॉर्ड धन जुटाया। प्राइम डेटाबेस की एक रिपोर्ट से पता चला है कि सार्वजनिक इक्विटी फंड जुटाने में 92 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह 3.71 लाख करोड़ रुपये हो गया है। अगर राइट्स इश्यू को भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो कुल राशि करीब 3.88 लाख करोड़ रुपये होती है।

आइएएनएस, मुंबई। भारतीय कंपनियों ने बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद वित्त वर्ष 2024-25 में इक्विटी और डेट के जरिये रिकॉर्ड धन जुटाया। प्राइम डेटाबेस की एक रिपोर्ट से पता चला है कि सार्वजनिक इक्विटी फंड जुटाने में 92 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह 3.71 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

आइपीओ बाजार भी मजबूत रहा

अगर राइट्स इश्यू को भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो कुल राशि करीब 3.88 लाख करोड़ रुपये होती है। आइपीओ बाजार भी मजबूत रहा और इस क्षेत्र में 78 कंपनियों ने मेनबोर्ड आइपीओ के जरिये 1.62 लाख करोड़ रुपये जुटाए।
यह एक साल में आइपीओ के जरिये जुटाया गया सबसे अधिक फंड है। यह पिछले साल जुटाए गए 61,922 करोड़ रुपये से 2.5 गुना अधिक था। हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड ने आइपीओ के जरिये सबसे अधिक 27,859 करोड़ रुपये जुटाए। इसके बाद स्विगी ने 11,327 करोड़ रुपये और एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी ने 10,000 करोड़ रुपये जुटाए।

67 कंपनियों ने आइपीओ के लिए आवेदन कर रखा है

आइपीओ के जरिए 48 कंपनियों को 84 हजार करोड़ रुपये जुटाने की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है। 67 दूसरी कंपनियों ने आइपीओ के लिए आवेदन कर रखा है। इन कंपनियों द्वारा प्रस्तावित आइपीओ का मूल्य 1.02 लाख करोड़ रुपये है। नए जमाने की प्रौद्योगिकी कंपनियों ने जोरदार वापसी की और फर्मों ने सामूहिक रूप से 21,438 करोड़ रुपये जुटाए।

ई-किराना ऑर्डर में क्विक कामर्स की दो-तिहाई से अधिक हिस्सेदारी

वर्ष, 2024 में सभी ई-किराना आर्डर में से दो-तिहाई से अधिक हिस्सेदारी क्विक कामर्स प्लेटफार्म की रही। यह इस बात को रेखांकित करता है कि कैसे क्विक कामर्स भारत में उपभोक्ताओं की खरीदारी के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। क्विक कामर्स के जरिये की गई खरीदारी (मूल्य के संदर्भ में) ई-कामर्स प्लेटफार्म पर कुल खरीदारी के 10 प्रतिशत के बराबर है।

फ्लिपकार्ट और बेन एंड कंपनी द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक क्विक कामर्स में सालाना 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की उम्मीद है। बता दें कि भारतीय क्विक कामर्स कंपनियों ने वैश्विक रुझानों को पीछे छोड़ दिया और लाभकारी तरीके से आगे बढ़ रही हैं।

भारत रिटेल में दूसरा सबसे बड़ा रिटेलर

भारतीय ई-रिटेल बाजार का जीएमवी लगभग 60 अरब डॉलर तक चला गया है और दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा ऑनलाइन खरीदार आधार बन गया है। जहां तक निजी खपत की बात है तो 2024 में ई-रिटेल की वृद्धि 20 प्रतिशत के ऐतिहासिक उच्च स्तर से घटाकर 10-12 प्रतिशत रह गई। हालांकि, 2025 के त्योहारी सीजन से इसमें उछाल आने की उम्मीद है। 

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