गाज़ा पट्टी से एक वीडियो ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। इस वायरल वीडियो में एक मात्र दो साल की मासूम बच्ची अपने घर से बाहर निकलकर दो भारी जरीकैन उठाए हुए पानी भरने की कोशिश करती नजर आ रही है। यह वीडियो न सिर्फ गाज़ा में चल रहे युद्ध की भयावहता को दर्शाता है बल्कि इस बात की गवाही भी देता है कि इज़राइल की नाकाबंदी ने वहां के आम नागरिकों की ज़िन्दगी को किस कदर मुश्किल बना दिया है। यह वीडियो दुनिया भर के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हो गया है और लाखों लोग इसे देख चुके हैं। छोटी सी बच्ची के हाथों में बड़े-बड़े जरीकैन देखकर हर किसी का दिल पसीज गया। बच्ची का यह दृश्य बताता है कि गाज़ा में हालात कितने नाज़ुक और अमानवीय हो गए हैं, जहां एक नन्हीं सी जान को भी परिवार के लिए पानी लाने जैसी जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है।
Disturbing video of 2-year-old toddler rushing to get water in Gaza goes viral https://t.co/AaqaPn71Cs pic.twitter.com/7p5JKtTh5U— Gulf Today (@gulftoday) June 18, 2025
पानी की भारी किल्लत से जूझ रहा गाज़ा संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ के अनुसार गाज़ा में विस्थापित बच्चों को प्रतिदिन महज 1.5 से 2 लीटर पानी मिल पा रहा है, जो किसी भी स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक न्यूनतम मानक से बेहद कम है। आपातकालीन परिस्थितियों में भी एक व्यक्ति के लिए कम से कम 15 लीटर पानी प्रतिदिन की आवश्यकता होती है जिसमें पीने, नहाने और खाना पकाने जैसी बुनियादी ज़रूरतें शामिल होती हैं। सिर्फ जीवित रहने के लिए भी 3 लीटर पानी प्रतिदिन चाहिए होता है, लेकिन गाज़ा में यह संख्या बेहद घटकर 1.5 लीटर तक सिमट चुकी है। इसका सीधा असर बच्चों, बुजुर्गों और बीमारों पर पड़ रहा है, जो डिहाइड्रेशन, डायरिया, त्वचा रोगों और कुपोषण जैसी गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।
युद्ध का सबसे बड़ा शिकार बने बच्चे गाज़ा में इस समय लाखों लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो चुके हैं। अनुमान है कि दिसंबर से अब तक लगभग 10 लाख लोग गाज़ा के दक्षिणी हिस्से राफ़ा में पहुंचे हैं, जिनमें से आधे बच्चे हैं। ये सभी भोजन, पानी, दवाइयां, छत और सुरक्षा जैसी बुनियादी चीजों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। छोटे बच्चों के लिए यह हालात और भी ज्यादा खतरनाक हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की आपात स्थिति में बच्चे जल्दी डिहाइड्रेशन, डायरिया और संक्रमण का शिकार होते हैं। ये सभी समस्याएं एक साथ मिलकर उनकी जान के लिए घातक बन सकती हैं। यूनिसेफ का कहना है कि मौजूदा हालात में बच्चों के जीवित रहने की संभावना बेहद घट गई है। इस उम्र में जब बच्चों को खेलना-कूदना चाहिए, उन्हें पानी और भोजन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। दो साल की बच्ची का यह वीडियो इसी दर्दनाक हकीकत को उजागर करता है।
गाज़ा में जल जनित बीमारियों का खतरा बढ़ा गाज़ा में पानी की कमी के साथ-साथ बीमारियों का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है। बारिश और बाढ़ के चलते पीने के सुरक्षित पानी तक पहुंच और भी कठिन हो गई है। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि यदि हालात जल्द नहीं सुधरे तो हैजा (कोलेरा) और क्रॉनिक डायरिया जैसी जानलेवा बीमारियां गाज़ा के बच्चों और बुजुर्गों के लिए महामारी का रूप ले सकती हैं। शरणार्थी शिविरों में रहने वाले लोगों को पहले से ही गंदे पानी का सेवन करना पड़ रहा है, जिससे उनका स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। मलजल और पीने के पानी के मिल जाने के कारण संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा है।
मानवीय संगठनों की चेतावनी अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन और राहत एजेंसियों ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र, रेड क्रॉस, डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स जैसी संस्थाओं ने बार-बार चेतावनी दी है कि गाज़ा में मानवाधिकार संकट खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है। मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है कि बच्चों के मन और शरीर पर इस तरह के हालात का गहरा असर पड़ता है। इतनी छोटी उम्र में अगर कोई बच्चा युद्ध, भूख, प्यास और असुरक्षा का सामना करता है तो उसका मानसिक स्वास्थ्य जीवनभर प्रभावित हो सकता है। यूनिसेफ के प्रवक्ता ने कहा, “गाज़ा में बच्चे मौत के साये में जी रहे हैं। उनके पास पीने का साफ पानी नहीं है, खाना नहीं है, सुरक्षित छत नहीं है। हर दिन उनका बचना एक चमत्कार जैसा है।”
दुनिया भर में आक्रोश यह वीडियो वायरल होने के बाद दुनियाभर के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने गाज़ा की स्थिति पर गहरा दुख जताया है। ट्विटर, इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसी सोशल मीडिया साइट्स पर लाखों लोगों ने इस वीडियो पर प्रतिक्रिया दी और इज़राइल तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों से इस मानवीय त्रासदी को रोकने की मांग की। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और कई मुस्लिम देशों ने इस वीडियो का हवाला देते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से अपील की कि गाज़ा में तुरंत युद्धविराम लागू किया जाए ताकि नागरिकों की जिंदगी बचाई जा सके।
भारत में भी गाज़ा संकट को लेकर चिंता भारत में भी इस वीडियो ने लोगों को झकझोर दिया है। सोशल मीडिया पर हजारों भारतीयों ने इस बच्ची की तस्वीर साझा करते हुए गाज़ा के लोगों के प्रति सहानुभूति जताई। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भारत सरकार से भी अपील की है कि वह इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आवाज उठाए। भारतीय मुस्लिम संगठनों ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया और राहत सामग्री गाज़ा भेजने की पेशकश की है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस युद्ध को रोकने की मांग की है और दोनों पक्षों से शांति बहाल करने की अपील की है। गाज़ा से आया यह वीडियो केवल एक बच्ची की कहानी नहीं है, बल्कि एक पूरी पीढ़ी की त्रासदी की झलक है। युद्ध के कारण बच्चों की मासूमियत, उनका बचपन और उनका भविष्य छीन लिया गया है। यह वीडियो पूरी दुनिया को यह सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर कब तक मासूमों को इस तरह की कीमत चुकानी पड़ेगी? अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अब और देर नहीं करनी चाहिए। मानवीय सहायता पहुंचानी चाहिए, युद्धविराम लागू कराना चाहिए और गाज़ा के नागरिकों, विशेषकर बच्चों को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। अगर अब भी चुप्पी साधी गई तो ऐसे हजारों मासूमों की जिंदगियां अंधेरे में समा जाएंगी और दुनिया एक बड़ी मानवीय त्रासदी की गवाह बनेगी।