​​हाईब्रिड म्युचुअल फंड क्या होते हैं​?

​​किसी ऐसे निवेश विकल्प के बारे में सोचें जहां स्टॉक में लगाए पैसे भी लगातार बढ़ें और यह सुरक्षित भी हो. निवेश का ऐसा तरीका, जो आपके आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने के सपनों के लिए एक संतुलित रास्ता देता हो. हाईब्रिड म्यूचुअल फंड इस कसौटी पर फिट बैठते हैं. इक्विटी और डेट फंड को मिलाकर एक ही फंड के ज़रिए एक विविधता भरा पोर्टफोलियो बना सकते हैं।.

​​ऐसे निवेशक जो ज़्यादा जोखिम उठाने से बचते हैं और लाभ के साथ स्थिरता पर फोकस करते हैं, उनके लिए हाइब्रिड फंड एक स्मार्ट विकल्प हैं. चलिए ​Nivesh ka Sahi Kadam​ के साथ मिलकर समझते हैं कि हाईब्रिड म्युचुअल फंड क्या होते हैं. इनमें आपकों क्यों और कैसे निवेश करना चाहिए, इनके टैक्स नियम क्या हैं. साथ ही, पूरी जानकारी होने पर आपको निवेश का फ़ैसला लेने में कितनी आसानी रहेगी, यह भी जानेंगे.

​​हाईब्रिड म्युचुअल फंड क्या होते हैं?​

​​हाईब्रिड म्यूचुअल फंड इक्विटी (स्टॉक) और डेट इंस्ट्रूमेंट (बॉन्ड, फ़िक्स्ड-इनकम सिक्योरिटीज) वगैरह में मिला-जुलाकर निवेश करते हैं. कभी-कभी इसमें सोना भी शामिल होता है. निवेशक इक्विटी फंड के ज़रिए बाजार में आने वाली तेज़ी का फायदा उठा सकते हैं, जिससे अच्छा रिटर्न कमा सकते हैं. डेट फंड पोर्टफ़ोलियो को स्थिरता देते हैं और यह बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच भी आपके पैसों को सुरक्षित रखते हैं. निवेश का यह मिला-जुला तरीका इक्विटी में निवेश से संभावित जोखिम को सीमित करता है. साथ ही, डेट फंड की तुलना में बेहतर रिटर्न देता है. घर खरीदने से लेकर रिटायरमेंट की योजना बनाने जैसे आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हाईब्रिड फंड सही विकल्प हैं.

​​हाईब्रिड म्युचुअल फंड कितनी तरह के होते हैं​

​​इक्विटी-ओरिएंटेड हाईब्रिड फंड:​​ ये फंड मुख्य तौर पर इक्विटी (65% या अधिक) में निवेश करते हैं. बची हुई राशि डेट या दूसरे बॉन्ड संपत्तियों में निवेश की जाती है. मध्यम स्तर तक जोखिम उठाकर अच्छा रिटर्न चाहने वाले निवेशकों के लिए आदर्श हैं (उदाहरण के लिए, एग्रेसिव हाईब्रिड फंड)।.

डेट-ओरिएंटेड हाईब्रिड फंड: ​​इसके तहत डेट फंड में बड़ा हिस्सा (60%-80%) और इक्विटी में कम निवेश किया जाता है. इनमें पैसे बढ़ने की क्षमता थोड़ी सीमित होती है, लेकिन स्थिरता और नियमित आय चाहने वाले निवेशकों के लिए बेहतरीन विकल्प हैं. (जैसे कि कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड).

बैलेंस्ड हाईब्रिड फंड:​​ इसके तहत इक्विटी और डेट (हरेक में 40%-60%) दोनों में लगभग बराबर अनुपात में निवेश किया जाता है. बेहतर रिटर्न के साथ ये स्थिरता भी देते हैं.

डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड:​​ ये फंड बाजार की स्थितियों के आधार पर अपने इक्विटी-डेट फंड में किए निवेश में जरूरत के मुताबिक आसानी से बदलाव करते हैं. इसका उद्देश्य जोखिम को नियंत्रित करते हुए बाजार की स्थितियों के मुताबिक पैसे बनाना होता है। (जैसे कि बैलेंस्ड एडवांटेज फंड).

​​मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड:​​ ये पोर्टफोलियो में विविधता को बढ़ाने के साथ अस्थिरता को कम करने के लिए इक्विटी, डेट और सोने सहित कई और बॉन्ड, संपत्तियों और क्षेत्रों में निवेश करते हैं।.

​​हाईब्रिड म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करना चाहिए?​

​​हाईब्रिड फंड नीचे बताए विकल्प तलाश रहे निवेशकों के लिए आदर्श हैं:​

​​जोखिम और लाभ के बीच संतुलन बनाना: ​​इक्विटी और डेट फंड में मिलाकर निवेश बाज़ार के उतार-चढ़ाव के प्रभाव को सीमित करते हैं. साथ ही, ये बेहतर रिटर्न भी देते हैं.

​​विविधता: ​​कई तरह के फंड में निवेश करने की वज़ह से जोखिम सीमित हो जाता है, क्योंकि किसी एक या दो फंड के खराब प्रदर्शन का असर निवेश की पूरी राशि पर नहीं पड़ता है.

​​लक्ष्य आधारित निवेश: ​​चाहे आपका लक्ष्य कम समय में निवेश का हो या फिर लंबे समय में निवेश का, हाईब्रिड फंड अलग-अलग आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम हैं.

​​सुविधाजनक:​​ एक ही फंड में निवेश कर इक्विटी और डेट निवेश को अलग-अलग मैनेज करने की ज़रूरत नहीं रहती है.

​​हाईब्रिड म्युचुअल फंड में कैसे निवेश करें ​

​​अपने लक्ष्य तय करें: ​​इक्विटी-आधारित फंड अपने लंबे समय के लिए तय आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए चुनें या डेट-आधारित फंड नियमित आय और स्थिरता के लिए चुन सकते हैं.

​​जोखिम उठाने की क्षमता का आकलन करें: ​​एग्रेसिव हाईब्रिड फंड मध्यम से ज़्यादा स्तर तक जोखिम उठाने के लिए तैयार निवेशकों के लिए सही विकल्प हैं, जबकि जोखिम सीमित रखने की चाह रखने वाले निवेशकों के लिए पारंपरिक फंड अच्छे विकल्प हैं.

​​फंड का प्रदर्शन देखें: ​​किसी भी फंड के प्रदर्शन में निरंतरता का आकलन करना चाहिए. जोखिम को सीमित करने की क्षमता (जैसे कि सूचना अनुपात) और खर्चों के अनुपात की जानकारी रखनी चाहिए. इससे आप अपने पैसों का सटीक मूल्यांकन कर पाएंगे. ​

​​किसी विशेषज्ञ से राय लें: ​​आर्थिक विशेषज्ञ ज़रूरतों और आर्थिक लक्ष्यों को समझते हुए, आपकी निवेश रणनीति से मेल खाती हुए और आपके पोर्टफ़ोलियो से मैच करते हुए सही हाईब्रिड फंड का सुझाव दे सकते हैं.

​​हमेशा जरूरी जानकारी लेते रहें: ​​Mutual Funds Sahi Hai जैसे मंच अलग-अलग फंड और निवेश विकल्पों के बारे में बताते हैं और आपको पूरी जानकारी के साथ सही निवेश का फैसला लेने में मदद करते हैं.

​​कर से जुड़े नियम ​

1. ​​इक्विटी-आधारित हाईब्रिड फंड​ (65%+ equity):

​​कम-समय के लिए लाभ वाले फंड (STCG)​​: 1 साल के अंदर बेची गई इकाइयों से होने वाले लाभ पर 15% कर लगता है.

​​लंबे समय के लिए पूंजीगत लाभ (LTCG): ​​1 साल से ज़्यादा समय तक रखी गई इकाइयों से ₹1 लाख से अधिक के लाभ पर 10% कर लगता है.

2. डेट-आधारित हाईब्रिड फंड​​ (60%+ डेट):​

​​फंड रखने की अवधि कुछ भी हो, लेकिन लाभ पर कर निवेशकों के आयकर स्लैब के मुताबिक लगाया जाता है.

​​3. लाभांश:​​ निवेशकों के आयकर दर के अनुसार उस पर कर लगता है और सालाना 5,000 से ज़्यादा के लाभांश पर TDS लागू होता है.

​​निष्कर्ष​

​​हाईब्रिड म्युचुअल फंड निवेश के लिए एक संतुलित और विविधता से भरा नज़रिया देते हैं. अलग-अलग आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निवेश में बेहतर रिटर्न के साथ स्थिरता भी देने में सक्षम हैं. हाईब्रिड फंड कितनी तरह के होते हैं, इनसे जुड़े कर और निवेश प्रक्रिया के बारे में अच्छी तरह जानकर, आप अपने लक्ष्यों के मुताबिक सही विकल्प चुन सकते हैं. Mutual Funds Sahi Hai​, के जरिए हम आपको एक सुरक्षित आर्थिक भविष्य बनाने के लिए मज़बूत बनाते हैं. Nivesh ka Sahi Kadam​, से जुड़कर हाईब्रिड फंड के विकल्पों को तलाशें और पैसे बनाने की दिशा में पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने कदम बढ़ाएं.

​​अधिक जानकारी के लिए: https://www.news18features.com/niveshkasahikadam

​​डिसक्लेमर: म्युचुअल फंड निवेश बाजार जोखिम के अधीन है. निवेश का फैसला लेने से पहले स्कीम से जुड़े सभी दस्तावेज़ ध्यान से पढ़ें. अतीत का प्रदर्शन भविष्य में भी वैसे ही नतीजों की गारंटी नहीं है.