जिस Signal App पर शेयर हुआ अमेरिका का सबसे खुफिया वॉर प्लान, आखिर कितना सुरक्षित है वो?
सिग्नल ऐप कितना सुरक्षित है: अमेरिका ने जब यमन के हूती विद्रोहियों पर हमला करने की तैयारी की थी, तब एक खुफिया वॉर प्लान भी तैयार किया गया था। उस प्लान को लेकर एक व्यापक मंथन सिग्नल ऐप पर हुआ था। इसे काफी सुरक्षित और असरदार माना जाता है, दावा तो यहां तक होता है कि कोई थर्ड पार्टी उन मैसेजों को इनक्रिप्ट नहीं कर सकती है। लेकिन उसी सबसे सुरक्षित ऐप पर अमेरिका का सबसे खुफिया वॉर प्लान लीक हो गया था। एक पत्रकार को सारी लाइव जानकारी उस हमले की पहले ही मिल गई थी।
अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस गलती को मान लिया है, लेकिन इसे सिर्फ मामूली ग्लिच बताकर बचने की कोशिश की है। लेकिन जितना मामूली ग्लिच यह लग रहा है, उतना यह है नहीं, ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी देश का वॉर प्लान उसकी सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण रहता है। यह उन सीक्रेट दस्तावेजों में से एक होता है जो किसी भी हाल में दुश्मन देश या फिर ना जानने वाले वाले लोगों तक नहीं पहुंचना चाहिए। यहां तो एक पत्रकार को सारी जानकारी मिल रही थी, वो भी इसलिए क्योंकि वो उस ग्रुप का हिस्सा था जिसमें अमेरिका का वॉर प्लान डिसकस किया जा रहा था।
ऐसे में सवाल तो पूछा जाएगा- आखिर यह सिग्नल ऐप क्या है, इसे कितना सुरक्षित माना जाना चाहिए? क्या दूसरी ऐप्स के मुकाबले इसमें कोई ऐसे फीचर हैं जो इसे बेहतर बनाते हैं। आइए सिग्नल ऐप के बारे में सारी जानकारी जानते हैं-
सिग्नल ऐप क्या है?
सिग्नल ऐप पर डायरेक्ट मैसेजिंग की जाती है, इसी ऐप पर ग्रुप चैट और वीडियो कॉल भी होता है। इस ऐप पर क्योंकि एंड टू एंड इनक्रिप्शन रहता है, ऐसे में कोई भी थर्ड पार्टी आपकी चैट को नहीं पढ़ सकता है। सिर्फ सेंडर और रिसीवर के बीच में ही सारी बातचीत रहती है। दूसरी ऐप्स की तरह सिग्नल आपका ज्यादा डेटा स्टोर नहीं करता है, ऐसे में प्राइवेसी बनी रहती है, इसके अलावा थोड़े समय में खुद ही मैसेज भी डिलीट हो जाते हैं, उससे भी सुरक्षा की लेयर बढ़ जाती है।
क्या सिग्नल ऐप को हैक किया जा सकता है?
सिग्नल ऐप को हैक किया जा सकता है। इसी साल फरवरी में गूगल की ही एक सिक्योरिटी फर्म मेडिएंट ने दावा किया था कि रूसी जासूसों ने यूक्रेनी अधिकारियों के सिग्नल अकाउंट्स को हैक करने की कोशिश की थी। एनएसए के एक पूर्व हैकर ने बताया था कि सिग्नल का डेटा जहां स्टोर होता है, वही से उसके हैक होने की सबसे ज्यादा संभावना रहती है। असल में सिग्नल ऐप को लोग अपने लैपटॉप से भी कनेक्ट कर सकते हैं, इसका मतलब है कि सारा डेटा डेक्सटॉप पर भी स्टोर होगा। उस स्थिति में वहां जरूर हैकिंग संभव है।
अमेरिका क्यों दिखाता है सिग्नल पर भरोसा?
अमेरिका में सिग्नल ऐप पर भरोसा इसलिए दिखाया गया क्योंकि कुछ समय पहले ऐसी खबर आई थी कि चीन ने कई अमेरिकी नेटवर्क को हैक करने का काम किया। उसी वजह से सुरक्षा को और ज्यादा पुख्ता करने के लिए सिग्नल ऐप का इस्तेमाल शुरू हो गया। वैसे हर कोई इस अमरिकी चूक के बारे में विस्तार से जानना चाहता है, तो यहां पढ़ें
जिस Signal App पर शेयर हुआ अमेरिका का सबसे खुफिया वॉर प्लान, आखिर कितना सुरक्षित है वो?
How Secure Is Signal App: सिग्नल ऐप पर डायरेक्ट मैसेजिंग की जाती है, इसी ऐप पर ग्रुप चैट और वीडियो कॉल भी होता है। इस ऐप पर क्योंकि एंड टू एंड इनक्रिप्शन रहता है, ऐसे में कोई भी थर्ड पार्टी आपकी चैट को नहीं पढ़ सकता है।
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सिग्नल ऐप कितना सुरक्षित है: अमेरिका ने जब यमन के हूती विद्रोहियों पर हमला करने की तैयारी की थी, तब एक खुफिया वॉर प्लान भी तैयार किया गया था। उस प्लान को लेकर एक व्यापक मंथन सिग्नल ऐप पर हुआ था। इसे काफी सुरक्षित और असरदार माना जाता है, दावा तो यहां तक होता है कि कोई थर्ड पार्टी उन मैसेजों को इनक्रिप्ट नहीं कर सकती है। लेकिन उसी सबसे सुरक्षित ऐप पर अमेरिका का सबसे खुफिया वॉर प्लान लीक हो गया था। एक पत्रकार को सारी लाइव जानकारी उस हमले की पहले ही मिल गई थी।
अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस गलती को मान लिया है, लेकिन इसे सिर्फ मामूली ग्लिच बताकर बचने की कोशिश की है। लेकिन जितना मामूली ग्लिच यह लग रहा है, उतना यह है नहीं, ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी देश का वॉर प्लान उसकी सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण रहता है। यह उन सीक्रेट दस्तावेजों में से एक होता है जो किसी भी हाल में दुश्मन देश या फिर ना जानने वाले वाले लोगों तक नहीं पहुंचना चाहिए। यहां तो एक पत्रकार को सारी जानकारी मिल रही थी, वो भी इसलिए क्योंकि वो उस ग्रुप का हिस्सा था जिसमें अमेरिका का वॉर प्लान डिसकस किया जा रहा था।
ऐसे में सवाल तो पूछा जाएगा- आखिर यह सिग्नल ऐप क्या है, इसे कितना सुरक्षित माना जाना चाहिए? क्या दूसरी ऐप्स के मुकाबले इसमें कोई ऐसे फीचर हैं जो इसे बेहतर बनाते हैं। आइए सिग्नल ऐप के बारे में सारी जानकारी जानते हैं-
सिग्नल ऐप क्या है?
सिग्नल ऐप पर डायरेक्ट मैसेजिंग की जाती है, इसी ऐप पर ग्रुप चैट और वीडियो कॉल भी होता है। इस ऐप पर क्योंकि एंड टू एंड इनक्रिप्शन रहता है, ऐसे में कोई भी थर्ड पार्टी आपकी चैट को नहीं पढ़ सकता है। सिर्फ सेंडर और रिसीवर के बीच में ही सारी बातचीत रहती है। दूसरी ऐप्स की तरह सिग्नल आपका ज्यादा डेटा स्टोर नहीं करता है, ऐसे में प्राइवेसी बनी रहती है, इसके अलावा थोड़े समय में खुद ही मैसेज भी डिलीट हो जाते हैं, उससे भी सुरक्षा की लेयर बढ़ जाती है।
क्या सिग्नल ऐप को हैक किया जा सकता है?
सिग्नल ऐप को हैक किया जा सकता है। इसी साल फरवरी में गूगल की ही एक सिक्योरिटी फर्म मेडिएंट ने दावा किया था कि रूसी जासूसों ने यूक्रेनी अधिकारियों के सिग्नल अकाउंट्स को हैक करने की कोशिश की थी। एनएसए के एक पूर्व हैकर ने बताया था कि सिग्नल का डेटा जहां स्टोर होता है, वही से उसके हैक होने की सबसे ज्यादा संभावना रहती है। असल में सिग्नल ऐप को लोग अपने लैपटॉप से भी कनेक्ट कर सकते हैं, इसका मतलब है कि सारा डेटा डेक्सटॉप पर भी स्टोर होगा। उस स्थिति में वहां जरूर हैकिंग संभव है।
अमेरिका क्यों दिखाता है सिग्नल पर भरोसा?
अमेरिका में सिग्नल ऐप पर भरोसा इसलिए दिखाया गया क्योंकि कुछ समय पहले ऐसी खबर आई थी कि चीन ने कई अमेरिकी नेटवर्क को हैक करने का काम किया। उसी वजह से सुरक्षा को और ज्यादा पुख्ता करने के लिए सिग्नल ऐप का इस्तेमाल शुरू हो गया। वैसे हर कोई इस अमरिकी चूक के बारे में विस्तार से जानना चाहता है, तो यहां पढ़ें