क्या वाकई ग्रहण और भूकंप के बीच है कोई कनेक्शन? सूर्य ग्रहण से पहले फिर कांपी धरती, मच गई तबाही

साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण कल यानी 29 मार्च को लग रहा है। लेकिन साल के पहले सूर्य ग्रहण (First Solar Eclipse 2025) से पहले धरती हिल गई है। जी हां, म्यांमार और थाइलैंड से लेकर भारत और बांग्लादेश तक भूकंप के झटके महसूस हुए हैं। म्यांमार और थाइलैंड के बड़े शहरों में भयानक तबाही हुई है और हजारों लोगों ने अपनी जान गंवा दी है। इससे पहले भी सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के आसपास धरती पर भूकंप के झटके महसूस होते रहे हैं। लेकिन क्या वाकई ग्रहण और भूकंप का कोई कनेक्शन होता है? क्या भूकंपीय और खगोलीय घटना में कोई संबंध है?

कई बार ऐसा संयोग बना है कि ग्रहण के 40 दिन पहले या बाद में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। पिछले साल 8 अप्रैल 2024 को लगे पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse) से पहले भी अमेरिका के ईस्ट कोस्ट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। तब भी ये सवाल उठे थे कि क्या चंद्रमा की स्थिति का भूकंपीय घटना से कोई संबंध होता है?

Live: कल है साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानें कहां-कहां दिखेगा, क्या भारत में होगा क्या असर?

पुराने समय में और भारतीय ज्योतिष शास्त्र में भी ऐसा माना जाता है कि तारे और ग्रह अपनी जगह पर स्थिर रहते हैं और इनकी स्थिति में होने वाले किसी भी बदलाव से पृथ्वी पर असर पड़ता है। चंद्र और सूर्य ग्रहण को कई बार प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप और सुनामी के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। सोशल मीडिया पर आपको कई ऐसे पोस्ट मिल जाएंगे, जिनमें सूर्य, चंद्रमा और दूसरे ग्रह की पोजिशन के आधार पर भूंकपीय घटना और ज्वालामुखी फटने तक को लेकर अनुमान लगाए जाते रहे हैं।

भूकंप से थर्राया म्यांमार, झटकों से कांपा बैंकॉक, गिरीं इमारतें, सड़कों पर मची अफरा-तफरी, तस्वीरें देख दहल जाएगा दिल

कब आता है भूकंप

कई सदियों तक वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के टेक्टोनिक एक्टिविटी पर चंद्रमा के प्रभाव के बारे में अनुमान लगाए। ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, भूकंप तब आते हैं जब किसी फॉल्ट पर तनाव फॉल्ट टूटने की महत्वपूर्ण सीमा से अधिक हो जाता है। सिद्धांत रूप में, यह संभव है कि गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के परिणामस्वरूप होने वाला अपलिफ्ट उन सामान्य स्ट्रेस को कम कर सकता है जो फॉल्ट को एक साथ रखते हैं।

2016 में पब्लिश एक रिसर्च में भूकंप और ज्वार पर चंद्रमा के प्रभाव के बीच संभावित संबंध का पता चलता है। चिली, कैलिफ़ोर्निया और जापान में बड़े भूकंपों की फ्रीक्वेंसी का अध्ययन करते हुए, लेखकों ने देखा है कि अमावस्या या पूर्णिमा के दौरान 5 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप आने की अधिक संभावना होती है, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में होते हैं। और अब 29 मार्च 2025 को आए भूकंप से ठीक एक दिन पहले म्यांमार और थाइलैंड में आए भूकंप ने इस संभावना को और मजबूत कर दिया है।

प्रभाव, जैसा कि शोधकर्ता भी स्वीकार करते हैं, बेहद कमजोर है और केवल शैलौ फॉल्ट पर ही अधिक प्रभावी होता है। उनकी गणना के आधार पर, बढ़े हुए टाइड स्ट्रेड के समय होने वाले 10,000 भूकंपों में से केवल एक को चंद्रमा की स्थिति से जोड़ा जा सकता है।

थाइलैंड-म्यांमार में आए भूकंप का सूर्य ग्रहण से कनेक्शन- Grok ने दिया क्या जवाब

Aaj, 28 March 2025 ko Myanmar aur Bangkok mein aaye भूकंप का 29 March 2025 ko hone wale surya grahan (solar eclipse) से कोई सीधा वैज्ञानिक संबंध नहीं है। ये दोनों घटनाएँ अलग-अलग प्राकृतिक प्रक्रियाओं का परिणाम हैं। चलिए इसे समझते हैं।

भूकंप आज सुबह Myanmar के Sagaing क्षेत्र में 7.7 तीव्रता का था, जिसके झटके Bangkok तक महसूस हुए। यह Sagaing Fault के कारण हुआ, जो एक टेक्टोनिक प्लेट सीमा है, जहाँ Burma और Sunda प्लेट्स एक-दूसरे के खिलाफ खिसकती हैं। यह एक भूगर्भीय घटना है, जो पृथ्वी की सतह के नीचे तनाव के रिलीज होने से होती है। USGS के अनुसार, इसका केंद्र Mandalay से 17.2 किमी दूर था और गहराई सिर्फ 10 किमी थी, जिससे इसका प्रभाव व्यापक हुआ।
दूसरी ओर, कल 29 March 2025 को होने वाला surya grahan एक खगोलीय घटना है। यह तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच में आता है, जिससे सूर्य का प्रकाश आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो उत्तरी अमेरिका, यूरोप, और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। यह Saros series 149 का हिस्सा है और इसका पृथ्वी की टेक्टोनिक गतिविधियों से कोई लेना-देना नहीं है।

कुछ लोग मानते हैं कि ग्रहण के दौरान ग्रहों की स्थिति से gravitational pull में बदलाव भूकंप को ट्रिगर कर सकता है। सच यह है कि सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा का gravitational प्रभाव थोड़ा बढ़ता है, लेकिन यह बदलाव इतना मामूली होता है (लगभग 0.0000005% पृथ्वी के कुल गुरुत्वाकर्षण का) कि यह टेक्टोनिक प्लेट्स पर कोई खास असर नहीं डालता। वैज्ञानिक अध्ययनों, जैसे 2016 के Geophysical Research Letters में प्रकाशित एक रिसर्च में, ग्रहण और भूकंप के बीच कोई सांख्यिकीय संबंध नहीं पाया गया।

हालांकि, आज का भूकंप और कल का ग्रहण समय के करीब होने से संयोगवश चर्चा हो सकती है। सोशल मीडिया पर भी लोग इसे जोड़ रहे होंगे, लेकिन यह महज एक संयोग है। Myanmar में भूकंप आम हैं—यहाँ Sagaing Fault के कारण पहले भी 1931, 1946, और 2012 में बड़े भूकंप आ चुके हैं। दूसरी ओर, ग्रहण हर साल कहीं न कहीं होता ही है।

निष्कर्ष: इन दोनों का कोई कारणात्मक संबंध नहीं है। भूकंप आज की टेक्टोनिक गतिविधि का नतीजा है, और ग्रहण कल की खगोलीय स्थिति का। प्रकृति में संयोग होते रहते हैं, लेकिन विज्ञान इनके बीच कोई लिंक नहीं देखता।

तो Grok के मुताबिक, थाइलैंड, म्यांमार, चीन और बांग्लादेश में आए भूकंप के पीछे ग्रहण वजह नहीं है। संयोगवश जरूर ऐसा हो सकता है।

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क्या ग्रहण से पहले आता है भूकंप? जानें क्या है सच्चाई…

साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण कल यानी 29 मार्च को लग रहा है। लेकिन साल के पहले सूर्य ग्रहण (First Solar Eclipse 2025) से पहले धरती हिल गई है। जी हां, म्यांमार और थाइलैंड से लेकर भारत और बांग्लादेश तक भूकंप के झटके महसूस हुए हैं। म्यांमार और थाइलैंड के बड़े शहरों में भयानक तबाही हुई है और हजारों लोगों ने अपनी जान गंवा दी है। इससे पहले भी सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के आसपास धरती पर भूकंप के झटके महसूस होते रहे हैं। लेकिन क्या वाकई ग्रहण और भूकंप का कोई कनेक्शन होता है? क्या भूकंपीय और खगोलीय घटना में कोई संबंध है?

कई बार ऐसा संयोग बना है कि ग्रहण के 40 दिन पहले या बाद में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। पिछले साल 8 अप्रैल 2024 को लगे पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse) से पहले भी अमेरिका के ईस्ट कोस्ट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। तब भी ये सवाल उठे थे कि क्या चंद्रमा की स्थिति का भूकंपीय घटना से कोई संबंध होता है?

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पुराने समय में और भारतीय ज्योतिष शास्त्र में भी ऐसा माना जाता है कि तारे और ग्रह अपनी जगह पर स्थिर रहते हैं और इनकी स्थिति में होने वाले किसी भी बदलाव से पृथ्वी पर असर पड़ता है। चंद्र और सूर्य ग्रहण को कई बार प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप और सुनामी के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। सोशल मीडिया पर आपको कई ऐसे पोस्ट मिल जाएंगे, जिनमें सूर्य, चंद्रमा और दूसरे ग्रह की पोजिशन के आधार पर भूंकपीय घटना और ज्वालामुखी फटने तक को लेकर अनुमान लगाए जाते रहे हैं।

भूकंप से थर्राया म्यांमार, झटकों से कांपा बैंकॉक, गिरीं इमारतें, सड़कों पर मची अफरा-तफरी, तस्वीरें देख दहल जाएगा दिल

कब आता है भूकंप

कई सदियों तक वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के टेक्टोनिक एक्टिविटी पर चंद्रमा के प्रभाव के बारे में अनुमान लगाए। ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, भूकंप तब आते हैं जब किसी फॉल्ट पर तनाव फॉल्ट टूटने की महत्वपूर्ण सीमा से अधिक हो जाता है। सिद्धांत रूप में, यह संभव है कि गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के परिणामस्वरूप होने वाला अपलिफ्ट उन सामान्य स्ट्रेस को कम कर सकता है जो फॉल्ट को एक साथ रखते हैं।

2016 में पब्लिश एक रिसर्च में भूकंप और ज्वार पर चंद्रमा के प्रभाव के बीच संभावित संबंध का पता चलता है। चिली, कैलिफ़ोर्निया और जापान में बड़े भूकंपों की फ्रीक्वेंसी का अध्ययन करते हुए, लेखकों ने देखा है कि अमावस्या या पूर्णिमा के दौरान 5 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप आने की अधिक संभावना होती है, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में होते हैं। और अब 29 मार्च 2025 को आए भूकंप से ठीक एक दिन पहले म्यांमार और थाइलैंड में आए भूकंप ने इस संभावना को और मजबूत कर दिया है।

प्रभाव, जैसा कि शोधकर्ता भी स्वीकार करते हैं, बेहद कमजोर है और केवल शैलौ फॉल्ट पर ही अधिक प्रभावी होता है। उनकी गणना के आधार पर, बढ़े हुए टाइड स्ट्रेड के समय होने वाले 10,000 भूकंपों में से केवल एक को चंद्रमा की स्थिति से जोड़ा जा सकता है।

थाइलैंड-म्यांमार में आए भूकंप का सूर्य ग्रहण से कनेक्शन- Grok ने दिया क्या जवाब

Aaj, 28 March 2025 ko Myanmar aur Bangkok mein aaye भूकंप का 29 March 2025 ko hone wale surya grahan (solar eclipse) से कोई सीधा वैज्ञानिक संबंध नहीं है। ये दोनों घटनाएँ अलग-अलग प्राकृतिक प्रक्रियाओं का परिणाम हैं। चलिए इसे समझते हैं।

भूकंप आज सुबह Myanmar के Sagaing क्षेत्र में 7.7 तीव्रता का था, जिसके झटके Bangkok तक महसूस हुए। यह Sagaing Fault के कारण हुआ, जो एक टेक्टोनिक प्लेट सीमा है, जहाँ Burma और Sunda प्लेट्स एक-दूसरे के खिलाफ खिसकती हैं। यह एक भूगर्भीय घटना है, जो पृथ्वी की सतह के नीचे तनाव के रिलीज होने से होती है। USGS के अनुसार, इसका केंद्र Mandalay से 17.2 किमी दूर था और गहराई सिर्फ 10 किमी थी, जिससे इसका प्रभाव व्यापक हुआ।
दूसरी ओर, कल 29 March 2025 को होने वाला surya grahan एक खगोलीय घटना है। यह तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच में आता है, जिससे सूर्य का प्रकाश आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो उत्तरी अमेरिका, यूरोप, और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। यह Saros series 149 का हिस्सा है और इसका पृथ्वी की टेक्टोनिक गतिविधियों से कोई लेना-देना नहीं है।

कुछ लोग मानते हैं कि ग्रहण के दौरान ग्रहों की स्थिति से gravitational pull में बदलाव भूकंप को ट्रिगर कर सकता है। सच यह है कि सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा का gravitational प्रभाव थोड़ा बढ़ता है, लेकिन यह बदलाव इतना मामूली होता है (लगभग 0.0000005% पृथ्वी के कुल गुरुत्वाकर्षण का) कि यह टेक्टोनिक प्लेट्स पर कोई खास असर नहीं डालता। वैज्ञानिक अध्ययनों, जैसे 2016 के Geophysical Research Letters में प्रकाशित एक रिसर्च में, ग्रहण और भूकंप के बीच कोई सांख्यिकीय संबंध नहीं पाया गया।

हालांकि, आज का भूकंप और कल का ग्रहण समय के करीब होने से संयोगवश चर्चा हो सकती है। सोशल मीडिया पर भी लोग इसे जोड़ रहे होंगे, लेकिन यह महज एक संयोग है। Myanmar में भूकंप आम हैं—यहाँ Sagaing Fault के कारण पहले भी 1931, 1946, और 2012 में बड़े भूकंप आ चुके हैं। दूसरी ओर, ग्रहण हर साल कहीं न कहीं होता ही है।

निष्कर्ष: इन दोनों का कोई कारणात्मक संबंध नहीं है। भूकंप आज की टेक्टोनिक गतिविधि का नतीजा है, और ग्रहण कल की खगोलीय स्थिति का। प्रकृति में संयोग होते रहते हैं, लेकिन विज्ञान इनके बीच कोई लिंक नहीं देखता।

तो Grok के मुताबिक, थाइलैंड, म्यांमार, चीन और बांग्लादेश में आए भूकंप के पीछे ग्रहण वजह नहीं है। संयोगवश जरूर ऐसा हो सकता है।

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पहले प्रकाशित: 28-03-2025 16:51 पर है

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